काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा। in 25 to30 words
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चलती साथ पटरिया रेल की फिर भी मौन"जापानी काव्य विधा 'हाइकु' { विश्व की सबसे छोटी कविता } में 'मन' नामक कविता के कवि 'विकास परिहार ' ने उक्त पंक्तियों के माध्यम से पाठक को यह कहा है कि मनुष्य को रेल की पटरियों की भांति होना चाहिए । इसका भावार्थ है कि जिस तरह रेल की पटरियां सफर में रेल के साथ-साथ होती हैं किंतु नि:शब्द यानी मौन रहती है उसी प्रकार मनुष्य को भी विषम परिस्थितियों में या दुख में रोना नहीं चाहिए अपितु मौन रहकर शांति से परिस्थिति का सामना करना चाहिए । वस्तुत:मनुष्य को चाहिए कि वह साक्षी भाव से सुख-दुख को स्वीकार करें । "कांटो के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा"जापानी काव्य विधा ' हाइकु ' के अंतर्गत रचित 'मन' नामक कविता के रचयिता 'विकास परिहार' ने इन पंक्तियों के माध्यम से आशावान बनने का संदेश दिया है । कवि कहते हैं कि जिस तरह फूल कांटों के बीच भी खिल जाता है उसी तरह मनुष्य को भी उस खिले हुए फूल से प्रेरणा लेकर विषम परिस्थितियों में भी निराश नहीं होना चाहिए । अर्थात जीवन में आई हुई कठिनाइयों का मुकाबला करना चाहिए । हालात चाहे जैसे भी हो हमें उनका सामना मुस्कुराकर करना चाहिए । यही इन पंक्तियों का केन्द्रीय भाव भी है |
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