कीटों के जीवन चक्र में कौन सी चार आवश्यकताएं हैं
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कीट का जीवन चक्र
पिछले अंक में आपने देखा कि एक फलनुमा रचना किसी पतिंगे का ककुन था। इस ककून में से एक पतिंगा निकलता है। यहां हम उस पतिंगे की वयस्क अवस्था के चित्र भी दे रहे हैं।
कीटों के कायांतरण के बारे में आपने पढ़ा ही होगा कि ककून में से निकलने वाला कीट अपने जीवन की बाकी अवस्थाओं से काफी भिन्नता लिए होता है। टसर सिल्क मॉथ में तो ककून को फाड़कर निकलने वाले पतिंगे में नर और मादा में बाहर से देखकर आप आसानी से फर्क कर सकते हैं। साथ दिए चित्र देखिए। क्या आप चित्र में देखकर नर और मादा पतिंगे में फर्क कर सकते हैं?
टसर सिल्क मॉथ के जीवनचक्र में मादा अंडे देती है। इन अंडों में से इल्ली यानी केटरपिलर निकलता है। और कुछ दिनों के बाद यह केटरपिलर एक फलनुमा रचना प्यूपा में तब्दील हो जाता है। कुछ समय के बाद इसी प्यूपा में से पंख वाला पतिंगा निकलता है।
ऐसे उदाहरण प्रकृति में काफी मिल जाएंगे। अक्सर पेड़-पौधों पर रंग-बिरंगी इल्लियां दिखाई दे जाती हैं। ये इल्लियां तितली या पतिंगे के जीवन चक्र की लार्वा अवस्था है।
आप चाहें तो इन कीटों के जीवन चक्र का अध्ययन कर सकते हैं। यदि कहीं पर आपको इल्लियां मिलें तो उनको किसी गत्ते के डिब्बे में रख दीजिए और जिस पेड़-पौधे पर से उसको पकड़ा है उसकी पत्तियां भी, ताकि भोजन का प्रबंध भी हो जाए। इस अवस्था में इल्लियों का एक खास मकसद होता है भोजन करना, और खूब भोजन करना।
इल्ली में होने वाले बदलावों को आप नोट करें। इल्ली अपनी चमड़ी उतारती है जिसे Moulting कहते हैं। हर बार काया उतारने पर इसके आकार में बढ़ोतरी होती जाती है।
कुछ समय के बाद यह चलती-फिरती इल्ली आपको दिखाई नहीं देगी। वह अपने चारों ओर खोल ओढ़कर सुस्ता रही होगी। यही इसकी प्यूपा अवस्था है।
जब यह प्यूपा अवस्था में हो तब इसे भोजन की ज़रूरत नहीं होती। कुछ दिनों के बाद इस प्यूपा में से पंखदार तितली या पतिंगा बाहर निकल जाएगा। आप तितली और पतिंगे में अंतर आसानी से पहचान सकते हैं। जब तितली बैठती है। तो इसके पंख खड़े होते हैं और पतिंगे के पंख ज़मीन की सतह के समांतर होते हैं।
यदि आप थोड़ा ध्यान से देखें तो पत्तियों और शाखाओं पर इनके अंडे भी देख सकते हैं। यदि आपको अंडे मिल जाएं तो अंडे से लेकर वयस्क तक की अवस्थाओं का अध्ययन कर सकते हैं।
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