कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर-धारा है
भारतवर्ष हमारा है, यह
है, यह हिंदुस्तान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहले जागे, नव-सिरजन के स्वप्न घने,
जिस दिन देश-काल के दो-दो, विस्तृत-विमल वितान तने,
जिस दिन नभ में तारे छिटके, जिस दिन सूरज-चाँद बने,
तब से है यह देश हमारा, यह अभिमान हमारा है। (arth)
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sorry I didn't know Hindi
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बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'
बाल कृष्ण शर्मा (8 दिसंबर 1897 - 29 अप्रैल 1960), जिन्हें नवीन नाम से जाना जाता है,
Explanation:
एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, पत्रकार, राजनीतिज्ञ और हिंदी साहित्य के कवि थे। वह कानपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली लोकसभा के सदस्य थे और 1957 से अपनी मृत्यु तक राज्य सभा के सदस्य के रूप में सेवा की। उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी को प्रताप के दैनिक संपादक के रूप में स्थान दिया और राजभाषा आयोग के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। उनके काव्य संग्रहों में कुमकुम, रश्मिरेखा, अपलक, क्वासी, विनोबा स्तवन, उर्मिला और हम विश्वपे जनम के शामिल हैं, जो मरणोपरांत प्रकाशित हुए हैं। साहित्य में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1960 में पद्म भूषण के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।इंडिया पोस्ट ने 1989 में शर्मा पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
1. कवि ने इस कविता में किसका गुणगान करते है ?
► कवि ने इस कविता में भारत देश और उसके गौरवमयी इतिहास और भारत संस्कृति का गुणगान करते है ।
2. कोटि-कोटि कंठों से क्या स्वर निकलते हैं ?
► कोटि-कोटि कंठों से ये सुर निकले हैं कि ये भारत देश हमारा अपना है,भारत हमारा है।
3. यह देश हमारा अभिमान किस प्रकार से है?
► जिस दिन से इस सृष्टि का नव सृजन हुआ, जिस दिन से चाँद-तारे-नभ आदि बने, जिस दिन से देश-काल की अवधारणा बनी तब से ये देश हमारा अभिमान अर्थात गौरव है।
4. कविता का ओजस्वी स्वर में वाचन कीजिए।
► छात्र खुद कविता का पाठ करें।
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