कौटिल्य के अनुसार राजा के कार्य एवं गुण लिखो
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कौटिल्य ने राजा के चार गुणों का वर्णन किया है उच्च कुल का होना, दानी,विनयशील, सत्य बोलनेवाला,अनुशासनशील,संयमी,हँसमुख, साहसी। कौटिल्य के अनुसार राजा सैनिक शक्ति के साथ साथ स्नेह ,प्यार के साथ भी शासन करता है। मंत्री या अमात्य – राज्य का दूसरा महत्वपूर्ण अंग कौटिल्य ने मंत्री बताया ।
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कौटिल्य के अनुसार राजा के गुण एवं कार्य इस प्रकार हैं :
कौटिल्य के अनुसार राजा के गुण :
- कौटिल्य के अनुसार राजा को कुलीन होना चाहिए, वह स्वस्थ प्रवृत्ति का हो तथा शास्त्रों का अनुसरण करने वाला हो।
- उसके अंदर आत्म संयम होना चाहिए। वह प्रजा पालक हो। प्रजा के हितों की रक्षा करता हो। वो अभिगामी हो।
- राजा उत्साह से भरपूर हो। राजा में दूरदर्शिता होनी चाहिए। सत्यवादिता उसका गुण होना चाहिए।
- राजा के अंदर कुलीनता होनी चाहिए। वह सभी बातों को सत्य एवं शास्त्रों के अनुसार करता हो।
- राजा मृदुभाषी हो एवं बलवान हो तथा उदार हो।
कौटिल्य के अनुसार राजा के कार्य :
- राजा को प्रजा के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
- राजा का कार्य उचित न्याय व्यवस्था प्रदान करना है।
- राजा का कार्य दोषी को दंड मिलने की व्यवस्था करना है।
- राजा का कार्य यह है कि वह राजकोष की वृद्धि के लिए उपाय करे।
- राजा का कार्य है कि वह आर्थिक एवं वाणिज्यिक कार्यों की निरंतर निगरानी करे।
- राजा का कार्य है कि वह विधि कानून का निर्माण करे।
- राजा का कार्य है कि वह युद्ध के लिए तथा राज्य की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।
- राजा का कार्य है कि वह राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखे।
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