कौटिल्य के राजनीतिक विचारों का वर्णन
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कौटिल्य के राज्य संबंधी विचार –“प्रजा के सुख में राजा का सुख है ।” कौटिल्य के अनुसार राजा और राज्य में कोई भेदभाव नहीं है । वह राजा और राज्य को एक दूसरे का पर्यायवाची मानते हैं । कौटिल्य के अनुसार राज्य एक जीवित प्राणी की तरह है, जिस प्रकार एक सजीव प्राणी का लगातार विकास होता है, उसी प्रकार राज्य का और उसके अंग का भी लगातार विकास होता रहता है ।
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सही जवाब है
कौटिल्य ने बताया कि किस तरह से एक राज्य की अर्थव्यवस्था व्यवस्थित होती है, मंत्रियों का चयन कैसे किया जाना चाहिए, युद्ध कैसे आयोजित किया जाना चाहिए और कराधान को कैसे व्यवस्थित और वितरित किया जाना चाहिए।
Explanation:
- कौटिल्य को शासन के विभिन्न पहलुओं जैसे कराधान, कूटनीति, व्यापार, व्यवसाय, प्रशासन आदि के बारे में बहुत ज्ञान था।
- कौटिल्य का विचार है कि राजा को इन तीनों लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए धन का सृजन करना चाहिए, सेनाएँ रखनी चाहिए और राज्यों को जीतना चाहिए और अपने राज्य का आकार बढ़ाना चाहिए।
- उन्होंने सोचा कि प्रशासन के सुचारू संचालन और लोगों के कल्याण के लिए, राजा को चार वेदों और सरकार के चार विज्ञानों (अंविकिकी, त्रयी, वार्ता और दंडनीति) से परिचित होना था।
- कौटिल्य ने घोषणा की कि राजनीति सर्वोच्च विज्ञान और सर्वोच्च कला है।
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