कित्नी सुंदरता बिखरी
प्राकृतिक जगत मे, ईश्वर,
तपक रही गिरी - शिखरोन से झर,
लोट रही घाटी मे
लीपटी धूप छाह मे नी:स्वर
please tell the bhavarth
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हे ईश्वर इस संसार मे कितने सुंदर सुंदर दृश्य है।
पर्वत पर सूर्योदय होणे पर वो चमक उठता है। पर्वतो के शिखर से पाणी की धार धूप हो या छाव हो निरंतर मधुर संगीत गाते गाते बहता है।
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