कृति पूण कीजिए : नवरात्रि तथा पूण में गोवा की अलग परंपराएँ
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see 10th hindi book
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lesson (goa jaise mene dekha)
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प्रेम से बोलो जय माता दी!" जैसा कि आप सबको पता है, दशहरे का पावन त्यौहार शुरूहो चूका है, लोगों के घरों में माता की चौकी सज चुकी है, लोग नए नए और पारंपरिक कपड़े पहन माता के दरबार में शामिल होने को तैयार हो चुके हैं। आप सभी को यह तो पता ही होगा कि दशहरे का पर्व,'बुराई पे अच्छी की जीत' का सूचक है, उसी तरह दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा भी प्रदान करता है।
[ गोआ में दशहरे की धूम!]
दशहरे की धूम!]दशहरा, भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में,दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति शुरू से ही वीरता की पूजक है और शौर्य की उपासक है। दशहरे के अंतिम दिन यानि कि विजयदशमी के दिन रावण के पुतले को दहन कर लोग बुराई के ख़त्म होने का जश्न धूमधाम से मनाते हैं।
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