कुत्रिम उपग्रह-धरती की आंख़े
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धयती का आॉगन विऻान से भहकना चाहहए। विऻान से अऩनी कयके रेनी चाहहए। विऻान का
राब उठाना चाहहए, की नहदमों का प्रिाह इस प्रकाय भोड़ देना चाहहए की हय िेत अनाज की बयऩयू
पसर उत्ऩन्न कय सके।
भनष्ुम जो चाहहऐ, उसकी आशा कये। जो बी अभबराषाएॉ िे सबी ऩणू म । इसभरए भनष्ुम को सदा
विश्िसनीम फनके यहना चाहहए।
हभ प्रकाय के भशल्ऩकराओॊ को अऩनाकय उनका विकास कयना चाहहए। साथ ही बभूभ पूरों -
से हयी - बयी औय सज्जी यहनी चाहहए।
विऻान की ननयॊतय प्रगनत होती यहे। भनष्ुम अऩने फनाए गए अॊतरयऺ मानों से चॊद्र औय भॊगर ग्रह
ऩय सपरताऩिूकम ऩहुॉच।े ऩयॊतुविऻान का प्रमोग विनाशकायक अस्रों के ननभामण के भरए न कयें।
भनष्ुम का जीिन सदाचाय, ऩविरता आहद से ऩरयऩणू म हो। सदाचाय, नैनतकता ही हभायी सदुॊ यता के
ऩरयचामक हों।
हभायी प्रनतबा हभायी फवुि औय हभाया भानिीम व्मिहाय हभाये चरयर की ऩरयचामक हैं।
सफके साथ हभाया व्मिहाय स्नेहऩणू म हो। हभायी आत्भा स्नेह रूऩी ऩरयधान से सजी हो। हभ सफ
भभरकय इस िसधु ा के गणु गान गीत गाएॉ, उसकी प्राथमना कये।
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