कुटीर उद्योग के पतन के कारण लिखिए
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अकालों का दुष्प्रभाव ब्रिटिश शासन की स्थापना के बाद बार-बार पड़ने वाले अकालों ने भी कुटीर-उद्योगों के पतन में योगदान दिया। अकालों के परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गये जिनमें कारीगर और शिल्पी भी थे। इसके अलावा जो लोग बच गये थे, उनकी स्थिति भी शोचनीय हो गई थी।
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कुटीर उद्योग के पतन के कारण लिखिए।
भारत में कुटीर उद्योग के अनेक कारण हैं जिनमें मुख्य कारण इस प्रकार हैं :
- तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की औद्योगिक नीति : तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में सफल अपनी औद्योगिक क्रांति को भारत में सफल बनाने के लिए भारतीय कुटीर उद्योग को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई। भारत को कच्चे माल का उत्पादनकर्ता तथा निर्मित माल का खपत करता बनाना चाहते थे और भारत का कच्चा माल ब्रिटेन में भेजकर ब्रिटेन से उत्पादित माल भारत में खपाना चाहते थे। उन्होंने पूर्ण व्यवस्था की जिससे भारत के कुटीर उद्योग नष्ट होते गए।
- देशी राजाओं/शासकों का पतन : देशी रियासतों का पतन कुटीर उद्योग के विनाश का कारण बना। जो सरकार ब्रिटिश सरकार के अधीन आती गईं। रियासतों में शासकों द्वारा कुटीर उद्योगों को संरक्षण मिलना बंद हो गया।
- पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव : पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव कुटीर उद्योग के पतन का मुख्य कारण बना। अंग्रेजों ने भारतीय विदेशी वस्तुओं के उपयोग पर अधिक जोर दिया और लोगों में विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण बनाना शुरू कर दिया। विदेशी वस्तुओं की मांग बढ़ती गई और जिससे देशी वस्तुओं की मांग कम होने के कारण कुटीर उद्योग नष्ट होते गए।
- मशीनीकरण : मशीनीकरण के कारण कुटीक उद्योगों पर अत्याधिक प्रभाव पड़ा। बड़ी-बड़ी मशीनों का मुकाबला छोटे-छोटे कुटीर उद्योग नहीं कर पाए।
- भारतीय कारीगरों पर प्रतिबंध : अंग्रेज सरकार ने ब्रिटिश उद्योगपतियों के हित के लिए भारतीय कारीगरों पर प्रतिबंध लगा दिया। जिससे भारतीय कुटीर उद्योगों के कारीगरों को रोजगार मिलना भी कम हो गया।
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