Hindi, asked by ganeshvajirkar, 2 months ago

कृति-५ (स्वमत)
इस परिच्छेद के आधार पर आर्यन और कनिष्का के बारे में अपने विचार लिखिए। class 7

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Answered by Rameshjangid
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Answer:

परिच्छेद में आर्यन और कनिष्का के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

Explanation:

परिच्छेद में आर्यन और कनिष्का के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। आर्यन और कनिष्का दोनों ही भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्तित्व हैं।

आर्यन, मौर्य साम्राज्य के चंद्रगुप्त मौर्य के नवयुवक थे जिन्होंने अलेक्जेंडर द्वितीय के महान शासक से संघर्ष किया था। अपनी ताकतवर सेना के साथ उन्होंने एक विस्तृत साम्राज्य का निर्माण किया था जिसमें वे पूर्वी भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान और इरान के कुछ हिस्सों को शामिल कर लेते हुए भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक बन गए। उन्होंने भारत के विकास और प्रगति में अहम भूमिका निभाई थी।

दूसरी ओर, कनिष्का एक बहुत ही प्रख्यात शासक थे जो पहले शक के अंत में भारत में शासन करते थे। वे बुद्धिजीवियों के समर्थक थे और बुद्ध के शिष्यों के साथ उनका अनुसरण किया। कनिष्का ने भारत में बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया था |

आर्यन और कनिष्का दोनों भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण शासक थे। आर्यन का शासन सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में था जबकि कनिष्का का शासन पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में था। दोनों ही शासकों के शासनकाल में भारत में उन्नति की तरंग थी जो संस्कृति, कला और साहित्य में व्यक्त हुई।

आर्यन शासनकाल का उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि उनकी सेना बड़ी मजबूत थी और उन्होंने विदेशों से आक्रमण का सामना किया था। आर्यन शासनकाल में विशेष रूप से धर्म और संस्कृति का विकास हुआ था और उन्होंने भारत की संस्कृति का उत्थान किया था।

कनिष्का शासनकाल का उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि उन्होंने भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। वे बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर भारत में धर्म से सम्बंधित बड़ी संस्थाएं बनाईं थीं। कनिष्का शासनकाल में भारत में विशेष रूप से शिल्पकला और साहित्य का विकास हुआ था।

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