'कृत्वा' में कौन सा प्रत्यय है?
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' दृष्ट्वा में 'दृश्' धातु से 'क्त्वा' प्रत्यय का योग किया गया है। यह क्रिया नर्तन क्रिया की पूर्वकालिक क्रिया है। उदाहरण- कृ+ क्त्वा = कृत्वा = करके, कार्यं कृत्वा गृहं गच्छ। गम + क्त्वा = गत्वा = जाकर.
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'कृत्वा' में कत्वा प्रत्यय है
- वाक्य की प्राथमिक क्रिया एक अभिव्यंजक क्रिया है जिसका उपयोग प्रत्यय के लिए धातु के काम में किया गया था
- अव्यय बनाने के लिए धातओु में ' ं क्त्वा', 'ल्यप', 'त ् मुनु' प्रत् ययों का योग किया जाता ह
- वाक्य में मख्ुय क्रिया से पर्वू किए गए कार्य में पर्वकू ालिक क्रिया को व्यक्त करने के लिए धात मेंु क्त्वा प्रत्यय का योग किया जाता ह
- त्यय हिंदी व्याकरण का एहसास शब्दांश है, जो किसी अन्य मूल शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में पूर्ण रूप से परिवर्तन ला देता है। प्रत्यय मूल शब्दों के अंत में जुड़ने के बाद अपनी प्रकृति के अनुसार ही परिवर्तन करता है।
- प्रत्यय दो शब्दों के मेल से बना हुआ होता है जोकि “प्रति” और “अय” है। प्रति शब्द का हिंदी अर्थ बाद में होता है और अय शब्द का अर्थ चलने वाला होता है।
'कृत्वा' में कत्वा प्रत्यय है
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