कुटिया,असफल,ज्ञान,नदी
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सफलता का राज़
रामनगर में रामू नाम का एक विद्यार्थीथा वह बहुत मेहनत करता था , पर वार्षिक परीक्षा में दो बार से असफल हो रहा था । एक दिन निराश रामू गाँव की मोरन नदी के किनारे चिंतामग्न हालत में घूम रहा था । तभी उसकी निगाह नदी के किनारे बनी एक कुटिया पर पड़ी । उसमें एक तपस्वी ध्यान मुद्रा में बैठे थे । रामू को उन्हें देखकर सुकून महसूस हुआ , वह तपस्वी जी के ध्यान से बाहर आने का इंतजार करने लगा ।
कुछ देर बाद तपस्वी जी ध्यान से बाहर आए । उनसे अपनी समस्या बताई ।वह नदी के किनारे उनके पीछे - पीछे चलता जा रहा था । तभी उसने एक छोटे से बंदर के बच्चे को नदी में गिरते हुए देखा । कोई उसे चाहकर भी बचा नहीं सकता था , क्योंकि नदी वहाँ वहुत गहरी थी । करीब आधे घंटे के परिश्रम के बाद वह पेड़ की एक टहनी पकड़ने में सफल हो गया और बच गया ।
तपस्वी जी ने कहा - देखा , यह छोटा - सा जीव अपनी मेहनत से निराश नहीं हुआ। अंत में अपने प्राण बचाने में सफल हो गया फिर तुम क्यों निराश होते हो ? मेहनत करो । मेहनत कभी बेकार नहीं जाती । तपस्वी की ज्ञानभरी बातों से रामू की आँखें खुल गई । वह घर लौट गया और दुगुने उत्साह से पढ़ाई करने लगा । अंत में परीक्षा में उसे सराहनीय अंक प्राप्त हुए ।
सीख - मेहनत के मार्ग में कितनी ही मुश्किलें आएँ , हमें घबराना नहीं चाहिए ।