(४)'कृतज्ञता' क़े संबंध में अपने विचार लिखिए
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आज कल के कलयुगी माहौल में कोई कृतज्ञता के उसूलो का पालन नही करता ह इसलिए इस प्रश्न की कोई एहमियत नही बचती है।
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(४)'कृतज्ञता' क़े संबंध में अपने विचार लिखिए |
मानवीय मूल्य मनुष्य की मानवता को चरितार्थ करते है | इन्हीं मूल्यों मे कृतज्ञता का भाव भी समाहित है | ये भाव हमारे ह्रदय में तब उपजता है जब कोई निस्वार्थ भाव से हमारा भला करता है |
मनुष्य को ईश्वर ने बुद्धि और मन दोनों के साथ-साथ अभिव्यक्ति हेतु वाणी का वरदान भी दिया है | अत: हमें चाहिए कि हम वाणी के द्वारा या लिखकर या फिर अन्य किसी माध्यम से उस भले मानुष के प्रति कृतज्ञता का भाव अवश्य प्रकट करें | इससे उस व्यक्ति को भविष्य में भी इसी तरह के कार्य करते रहने का सन्देश मिलेगा | वास्तव मे इससे हमें भी संतोष प्राप्त होगा तथा सामनेवाले से प्रेरणा पाकर हममे भी ऐसी सद्वृति का उद्भव या विकास होगा | परिणामस्वरूप एक सद्भावनापूर्ण कड़ी {जंजीर} बनती जाएगी |
मानवीय मूल्य मनुष्य की मानवता को चरितार्थ करते है | इन्हीं मूल्यों मे कृतज्ञता का भाव भी समाहित है | ये भाव हमारे ह्रदय में तब उपजता है जब कोई निस्वार्थ भाव से हमारा भला करता है |
मनुष्य को ईश्वर ने बुद्धि और मन दोनों के साथ-साथ अभिव्यक्ति हेतु वाणी का वरदान भी दिया है | अत: हमें चाहिए कि हम वाणी के द्वारा या लिखकर या फिर अन्य किसी माध्यम से उस भले मानुष के प्रति कृतज्ञता का भाव अवश्य प्रकट करें | इससे उस व्यक्ति को भविष्य में भी इसी तरह के कार्य करते रहने का सन्देश मिलेगा | वास्तव मे इससे हमें भी संतोष प्राप्त होगा तथा सामनेवाले से प्रेरणा पाकर हममे भी ऐसी सद्वृति का उद्भव या विकास होगा | परिणामस्वरूप एक सद्भावनापूर्ण कड़ी {जंजीर} बनती जाएगी |
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