Hindi, asked by supriyasingh83, 3 months ago


कितना अच्छा हो अगर, जलें दीप से दीप,ये संभव तब हो सके, आएँ दीप समीप ।। भावार्थ लिखो

please I want answer

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Answered by Anonymous
18

कितना अच्छा हो अगर, जले दीप से दीप, ये संभव तब हो सके, आएँ दीप समीप।।

भावार्थ

इन दोहों में जहीर कुरैशी जी ने समाज में चल रहे ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाने, तथा स्वार्थ, नफरत के दुष्परिणामों को बताते हुए इनको छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। कुरैशी जी का कहना है कि अनेकता में एकता ही अपने देश की शान है।

Answered by Anonymous
16

Answer:

कितना अच्छा हो अगर, जले दीप से दीप, ये संभव तब हो सके, आएँ दीप समीप।।

भावार्थ

इन दोहों में जहीर कुरैशी जी ने समाज में चल रहे ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाने, तथा स्वार्थ, नफरत के दुष्परिणामों को बताते हुए इनको छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। कुरैशी जी का कहना है कि अनेकता में एकता ही अपने देश की शान है।

Explanation:

GOOD EVENING DEAR

TAKE CARE

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