कितने बच्चे यतीम हो गये । कितनी औरते बेवा हो गई। पत्र के इस प्रसंग के आधार पर युद्ध के भीषण परिणाम विषय पर निबंध लिखें।
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।। युद्ध के भीषण परिणाम पर निबंध ।।
युद्ध के परिणाम सदैव ही वीभत्स रहे हैं। चाहे कोई भी हो युद्ध हों, दो देशों के बीच हो या दो समुदायों के बीच या कोई भी ऐतिहासिक युद्ध हुए होस सब का परिणाम वीभत्स ही रहता है। युद्ध में सैकड़ों हजारों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं और हमारी अपार संपत्ति, धन और जन दोनों की हानि होती है।
युद्ध का इतिहास बड़ा ही पुराना रहा है। मानव सदैव युद्ध में रत रहा है। पहले इस पृथ्वी पर छोटे छोटे राज्य होते थे, जो आपस में एक दूसरे पर वर्चस्व के लिए युद्ध करते रहते थे। बड़े-बड़े साम्राज्य बनने लगे वह भी अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक दूसरे से युद्ध करने लगे। युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण कारण अपने साम्राज्य का विस्तार रहा है। उसके अलावा धन, सम्पत्ति, स्त्री और जमीन आदि भी युद्ध के कारण रहे हैं।
पहले युद्धों की संख्या अधिक होती थी, लोग अक्सर आपस में लड़ते रहते थे। आज भले युद्ध की संख्या कम हो गई है, लेकिन आज अगर किन्हीं दो देशों के बीच युद्ध हो तो उसका परिणाम पहले से अधिक भयंकर हो सकता है। क्योंकि आज नए-नए आधुनिक हथियार आ गए हैं जो पल भर में ही पूरी एक बड़े मानव समुदाय को हानि पहुंचा सकते हैं। अमेरिका द्वारा जापान पर गिराये गये परमाणु बम इसका उदाहरण हैं।
किसी भी तरह के युद्ध से ना केवल जन-धन की हानि होती है बल्कि उसके परिणाम भी बुरे होते हैं। युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों के परिवार में कितने बच्चे अनाथ हो जाते हैं। उनकी पत्नियां विधवा हो जाती हैं, माँ-बाप सहारा विहीन हो जाते हैं। युद्ध में कितने ही लोग अपाहिज हो जाते हैं, जो जिंदगी भर दूसरे पर आश्रित हो जाते हैं। युद्ध में नैतिकता का पतन होता है, मानवता नष्ट होती है।
भगवान ने इस धरती पर हमें एक दूसरे से प्रेम करने के लिए भेजा है। एक-दूसरे से लड़ने के लिए नहीं। युद्ध की समस्या को हल किया जा सकता है, अगर लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को छोड़ दें और आपस में बैठकर मसलों को सुलझाएं। दो पक्षों के बीच युद्ध को डाला जा सकता है अगर हम इसके दुष्परिणामों को पहले से समझ ले और उससे बचने का प्रयास करें।
युद्ध से कोई समस्या हल नही होती बल्कि समस्या पैदा ही होती है, भले ही किसी यु्द्ध से तुरंत किसी समस्या का समाधान हो जाता हो, लेकिन बाद में उसके दुष्परिणाम अवश्य भुगतने पड़ते है, इसलिये युद्ध से जितना संभव हो बचा जाये, वही मानवता की मांग है।
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