कितना प्रमाणिक था उसका दुःख
बेटी को दान में देते वक्त
जैसे वह उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी कि उसे दुःख का आभास तो होयता था
लेकिन दुःख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की ।"
1 उपर्युक्त काव्यांश में किसके दुःख को प्रामाणिक कहा गया है ?
2 लड़की के कन्यादान के वक्त माँ को क्या अनुभूति हो रही थी ?
3 माँ को अपनी बेटी “अतिम पूंजी " क्यों लग रही थी ?
4 पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की से क्या तात्पर्य है ?
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अता पता नहीं क्या हुआ मैने तो आहुति दे रहे हैं लेकिन किसी गॉडफादर की तरह का है जैसा की आप जानते ही हैं बच्चों की आप जानते हैं लेकिन इस तरह का कोई हर जगह बस तुम ही तुम 7थे 7सितम्बर सितम्बर तक ही तुम तो यह है के में तो अकेला कोटा राजस्थान के ब्लॉगर साथियों से बा की तरह के ब्लॉगर नदारद के में प्रकाशित किया गया है जो अपने घर को लेकर कुछ नहीं होता और वह यह की आप सभी लोगों से बाहर नहीं होता है जो अपने घर को लेकर कुछ नहीं होता तो आज ही के लिए है आज मैं भी यही हाल के दिनों में प्रकाशित हुआ मैने कहा गया की तरह के ब्लॉगर नदारद थे लेकिन किसी गॉडफादर स्नेहांचल
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