कितना प्रमाणिक था उसका दुःख
बेटी को दान में देते वक्त
जैसे वह उसकी अतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी कि उसे दुःख का आभास तो होयता था
लेकिन दुःख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पक्तियों की ।
1 उपर्युक्त काव्याश में किसके दुःख को प्रामाणिक कहा गया है ?
2 लड़की के कन्यादान के वक्त माँ को क्या अनुभूति हो रही थी ?
3 माँ को अपनी बेटी "अतिम पूंजी " क्यों लग रही थी ?
4 पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की से क्या तात्पर्य है ?
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which chapter is this at least which class toh bholo
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