कितना सुहावना प्रभात! वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अर्जाब
रौनक़ है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना
प्यारा, कितना शीतल है! मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है! ईदगाह जाने
की तैयारियाँ हो रही हैं।
लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। बार-बार जेब से खज़ाना निकालकर गिनते
हैं। महमूद गिनता है, एक-दो, दस-बारह। उसके पास बारह पैसे हैं। मोहसिन के
पास पंद्रह पैसे हैं। इनसे अनगिनत चीजें लायेंगे- खिलौने, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद
और न जाने क्या-क्या। और सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह भोली सूरत का
चार-पाँच साल का दुबला-पतला लड़का था। उसका पिता गत वर्ष हैजे की भेंट हो
गया और माँ न जाने क्यों पीली पड़ती गयी और एक दिन वह भी परलोक
सिधार गयी। किसी को पता न चला कि आखिर अचानक यह क्या हुआ।
अब हामिद अपनी दादी अमीना की गोदी में सोता
न
.
ALA
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