कितने वर्षों में 4% वार्षिक ब्याज की दर से 1200 रु० का ब्याज 200 रु० होगा?
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Step-by-step explanation:
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय (Time) कहलाता है।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय (Time) कहलाता है।वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन (Amount) कहते हैं।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय (Time) कहलाता है।वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन (Amount) कहते हैं।किसी धन पर ब्याज की राशि मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती हैं।
जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, त्रणदाता या साहूकार (Iender) कहलाता हैं।उधार लिया गया धन मूलधन (Principal) कहलाता है।वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय (Time) कहलाता है।वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन (Amount) कहते हैं।किसी धन पर ब्याज की राशि मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती हैं।मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर में निम्न प्रकार सम्बन्ध हैं।