"कोठी मा धान छालक जाए ये जिंदगी फेर चमक जाए "पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए?75 से 100 शब्दों
Answers
कोठी मा धान छालक जाए ये जिंदगी फेर चमक जाए।
आशय ➲ यह पंक्तियां भगवती लाल सेन द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी कविता से ली गई है। इन पंक्तियों से कवि के कहने का प्रयत्न करता है कि जिस तरह कोठी यानी धान रखने की कोठरी में जब धान छलकने लगता है यानी कोठरी पूरी तरह भर जाती है, और धान बाहर आने लगता है, यानी पूरी तरह भर जाती है तो किसान की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता, उसकी जिंदगी खुशियों से भर जाती है, उसी तरह हमें अपने मन रूपी कोठरी में भी नए नए विचारों की फसल पैदा करनी होगी, ताकि हमारा मन भी नए नए विचारों से भर जाए और हमारा जीवन खुशियों के प्रकाश से जगमगा उठे।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Explanation:
शहीद वीर नारायण सिंह को अपने पूर्वजों से कौन-कौन से गुण प्राप्त थे सही शहीद वीर नारायण सिंह को अपने पूर्वजों से कौन-कौन से गुण मिले थे