कैदी और कोकिला कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने कोयल के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए हैं आप भी किसी पक्षी के माध्यम से लोगों से प्रकृति में होने वाले बदलाव पर लगभग 200 शब्द में अपना विचार सव चित्र व्यक्त कीजिए
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कैदी और कोकिला कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने कोयल के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए हैं आप भी किसी पक्षी के माध्यम से लोगों से प्रकृति में होने वाले बदलाव पर लगभग 200 शब्द में अपना विचार सव चित्र व्यक्त कीजिए :
कैदी और कोकिला कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने कोयल के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए है |
आज के समय में प्रकृति की हालत देखकर , पक्षी कहना चाहते है , मनुष्य अपने लाभ के लिए पर्यावरण के संतुलन की बिगाड़ रहा है| बढ़ते प्रदूषण के कारण यह पक्षी साँस नहीं ले पाते जिसके कारण इनकी जाती विलुप्त होती जा रही है |
मनुष्य द्वारा लंबे-लंबे मोबाइल टावर खड़े किए, जिनमें से निकलने वाली रेडियोएक्टिव इनके लिए हानिकारक है | मनुष्य द्वारा जंगल कटे जा रहे है , उन्हें रहने के लिए पेड़ भी काटे जा रहे है | शहरों में प्रदूषण में यह रह नहीं सकती | हम लोग पके घर बना रहे जिस के कारण यह अपना घर नहीं पा रही है | हमें पेड़ो और जंगलों को काटने से बचाना होगा और प्रदूषण को कम करना होगा |
यह पर्यावरण जो दूषित हो रहा है , जो मनुष्य अपने लाभ के लिए गलत काम कर रहा है सब कुछ प्रकृति को भुगतना पड़ रहा है | पर्यावरण असंतुलन के खतरे के कारण बहुत सारे पक्षियों की जातियां खत्म होती जा रही है |
पर्यावरण असंतुलन के खतरे के कारण बहुत सारे पक्षियों की जातियां खत्म होती जा रही है | जिस कारण सामा, गोरैया, कर्रा, कठखोदवा, नीलकंठ, पंडुक, परोकी, फूलचूशी, बगूला, कौवा, तोता, मैना आदि की संख्या लगातार कम होती जा रही है तथा कई प्रजातियां तो लुप्त हो चुकी है और आगे भी हो रही है | यदि मनुष्य ने यूं ही पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ जारी रखी तो शीघ्र की मौसम कहर बनकर टूट पड़ेगा और पृथ्वी पर जीवन खतरे में पड़ सकता है।
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