कैदी और कोकिला नामक पाठ में कवि को रात में कौन निराश करने चला गया?
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भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि 'माखनलाल चतुर्वेदी' जी के द्वारा रचित कविता 'कैदी और कोकिला' से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कोयल को संबोधित करते हुए कहते हैं कि कोयल मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम स्वतंत्र होने के बाद भी आधी रात में संकट रूपी कारागार के आस-पास मंडराकर अपनी मदमस्त ध्वनि में स्वतंत्रता
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