Hindi, asked by shahbaz00726, 3 months ago

कैदी और कोकिला पाठ में कैदी कौन है?

माखनलाल चतुर्वेदी

ललद्यद

कमलेश त्रिपाठी

बिहारी लाल​

Answers

Answered by singhranjana5735
0

कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी

कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी

माखन लाल चतुर्वेदी

कवि माखन लाल चतुर्वेदी

जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.

जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश

मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.

मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे

इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

आज नयन के बँगले में -माखन लाल चतुर्वेदी

उपालम्भ -माखन लाल चतुर्वेदी

अंजलि के फूल गिरे जाते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी

एक तुम हो -माखन लाल चतुर्वेदी

तान की मरोर -माखन लाल चतुर्वेदी

बलि-पन्थी से -माखन लाल चतुर्वेदी

फुंकरण कर, रे समय के साँप -माखन लाल चतुर्वेदी

कैसी है पहिचान तुम्हारी -माखन लाल चतुर्वेदी

बसंत मनमाना -माखन लाल चतुर्वेदी

चलो छिया-छी हो अन्तर में -माखन लाल चतुर्वेदी

बदरिया थम-थमकर झर री ! -माखन लाल चतुर्वेदी

कुंज कुटीरे यमुना तीरे -माखन लाल चतुर्वेदी

प्यारे भारत देश -माखन लाल चतुर्वेदी

झूला झूलै री -माखन लाल चतुर्वेदी

भाई, छेड़ो नही, मुझे -माखन लाल चतुर्वेदी

इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी

मधुर! बादल, और बादल, और बादल -माखन लाल चतुर्वेदी

दूबों के दरबार में -माखन लाल चतुर्वेदी

मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी -माखन लाल चतुर्वेदी

क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी

पुष्प की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी

जागना अपराध -माखन लाल चतुर्वेदी

मैं अपने से डरती हूँ सखि -माखन लाल चतुर्वेदी

उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी

मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक -माखन लाल चतुर्वेदी

घर मेरा है? -माखन लाल चतुर्वेदी

नयी-नयी कोपलें -माखन लाल चतुर्वेदी

वर्षा ने आज विदाई ली -माखन लाल चतुर्वेदी

गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी

गंगा की विदाई -माखन लाल चतुर्वेदी

सिपाही -माखन लाल चतुर्वेदी

ये वृक्षों में उगे परिन्दे -माखन लाल चतुर्वेदी

ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा -माखन लाल चतुर्वेदी

अमर राष्ट्र -माखन लाल चतुर्वेदी

वेणु लो, गूँजे धरा -माखन लाल चतुर्वेदी

यह अमर निशानी किसकी है? -माखन लाल चतुर्वेदी

कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी

तुम मिले -माखन लाल चतुर्वेदी

उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी

ये प्रकाश ने फैलाये हैं -माखन लाल चतुर्वेदी

जवानी -माखन लाल चतुर्वेदी

लड्डू ले लो -माखन लाल चतुर्वेदी

जीवन, यह मौलिक महमानी -माखन लाल चतुर्वेदी

समय के समर्थ अश्व -माखन लाल चतुर्वेदी

संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी

वायु -माखन लाल चतुर्वेदी

जाड़े की साँझ -माखन लाल चतुर्वेदी

वरदान या अभिशाप? -माखन लाल चतुर्वेदी

दीप से दीप जले -माखन लाल चतुर्वेदी

गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर -माखन लाल चतुर्वेदी

तुम्हारा चित्र -माखन लाल चतुर्वेदी

यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी

यह किसका मन डोला -माखन लाल चतुर्वेदी

साँस के प्रश्नचिन्हों, लिखी स्वर-कथा -माखन लाल चतुर्वेदी

मुझे रोने दो -माखन लाल चतुर्वेदी

तुम मन्द चलो -माखन लाल चतुर्वेदी

क्या गाती हो?

क्यों रह-रह जाती हो?

कोकिल बोलो तो!

क्या लाती हो?

सन्देशा किसका है?

कोकिल बोलो तो!

ऊँची काली दीवारों के घेरे में,

डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,

जीने को देते नहीं पेट भर खाना,

मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!

जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,

शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?

हिमकर निराश कर चला रात भी काली,

इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?

क्यों हूक पड़ी?

वेदना-बोझ वाली-सी;

कोकिल बोलो तो!

बन्दी सोते हैं, है घर-घर श्वासों का,

दिन के दु:ख का रोना है निश्वासों का,

अथवा स्वर है लोहे के दरवाजों का,

बूटों का, या सन्तरी की आवाजों का,

या गिनने वाले करते हाहाकार।

सारी रातें है-एक, दो, तीन, चार-!

मेरे आँसू की भरीं उभय जब प्याली,

बेसुर! मधुर क्यों गाने आई आली?

क्या हुई बावली?

अर्द्ध रात्रि को चीखी,

कोकिल बोलो तो!

किस दावानल की

ज्वालाएँ हैं दीखीं?

कोकिल बोलो तो!

निज मधुराई को कारागृह पर छाने,

जी के घावों पर तरलामृत बरसाने,

या वायु-विटप-वल्लरी चीर, हठ ठाने

दीवार चीरकर अपना स्वर आजमाने,

या लेने आई इन आँखों का पानी?

नभ के ये दीप बुझाने की है ठानी!

खा अन्धकार करते वे जग रखवाली,

क्या उनकी शोभा तुझे न भाई आली?

तुम रवि-किरणों से खेल,

जगत को रोज जगाने वाली,

कोकिल बोलो तो!

क्यों अर्द्ध रात्रि में विश्व

जगाने आई हो? मतवाली

कोकिल बोलो तो!

दूबों के आँसू धोती रवि-किरनों पर,

मोती बिखराती विन्ध्या के झरनों पर,

ऊँचे उठने के व्रतधारी इस वन पर,

ब्रह्माण्ड कँपाती उस उद्दण्ड पवन पर,

तेरे मीठे गीतों का पूरा लेखा,

मैंने प्रकाश में लिखा सजीला देखा।

तब सर्वनाश करती क्यों हो,

तुम, जाने या बेजाने?

कोकिल बोलो तो!

क्यों तमोपत्र पत्र विवश हुई,

लिखने चमकीली तानें?

कोकिल बोलो तो!

क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?

हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,

कोल्हू का चरक चूँ? जीवन की तान,

मिट्टी पर अँगुलियों ने लिक्खे गान?

हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,

ख़ाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।

दिन में करुणा क्यों जगे, रूलानेवाली,

इसलिए रात में गजब ढा रही आली?

इस शान्त समय में,

अन्धकार को बेध, रो रही क्यों हो?

कोकिल बोलो तो!

चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज

इस भाँति बो रही क्यों हो?

कोकिल बोलो तो!

काली तू, रजनी भी काली,

शासन की करनी भी काली,

काली लहर कल्पना काली,

मेरी काल कोठरी काली,

टोपी काली कमली काली,

मेरी लोह-शृंखला काली,

पहरे की हुंकृति की व्याली,

तिस पर है गाली, ऐ आली!

इस काले संकट-सागर पर

मरने की, मदमाती!

कोकिल बोलो तो!

अपने चमकीले गीतों को

क्योंकर हो तैराती!

कोकिल बोलो तो!

तेरे `माँगे हुए' न बैना,

री, तू नहीं बन्दिनी मैना,

न तू स्वर्ण-पिंजड़े की पाली,

तुझे न दाख खिलाये आली!

तोता नहीं; नहीं तू तूती,

तू स्वतन्त्र, बलि की गति कूती

तब तू रण का ही प्रसाद है,

तेरा स्वर बस शंखनाद है।

दीवारों के उस पार!

या कि इस पार दे रही गूँजें?

हृदय टटोलो तो!

त्याग शुक्लता,

तुझ काली को, आर्य-भारती पूजे,

कोकि· लालचंद · नरोत्तमदास · नामदेव · छीहल · कृष्णदास पयहारी · लालच


shahbaz00726: chota sa answer itna bada Kyu Kar raha hai option hai na goggle sai copy karta hai
Similar questions