कैदी और कोकिला पाठ में कवि ने जंजीरों को क्या कहा
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कैदी और कोकिला भावार्थ :- कवि को यह लगता है कि कोयल उसे जंजीरों में बंधा हुआ देखकर यूँ चीख पड़ी है। इसलिए कैदी कोयल से कहता है – क्या तुम हमें इस तरह जंजीरों में लिपटे हुए नहीं देख सकती हो? अरे ये तो अंग्रेज़ी सरकार द्वारा हमें दिया गया गहना है। अब तो कोल्हू चलने की आवाज हमारे जीवन का प्रेरणा-गीत बन गया है।
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kaidi aur kokila paath mein kavi ne janzeeron ko gehana kaha hai
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