कैदी और कोकिला पाठ में कवि ने कोयल की बोली कब और कहां सुनी
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कैदी और कोकिला पाठ में कवि ने कोयल की बोली आधी रात को जेल की कालकोठरी में सुनी थी।
‘कैदी और कोकिला’ पाठ में कवि माखनलाल चतुर्वेदी अन्य क्रांतिकारियों के साथ जेल में बंद हैं। वहां जेल में ब्रिटिश सरकार द्वारा उन पर अमानवीय भी अत्याचार किए जाते हैं। वह दुखी हृदय से अपनी काल कोठरी में कैद हैं। तभी आधी रात को ने कोयल की कूक की आवाज सुनाई देती है। उन्हें लगता है कोयल क्रांतिकारियों की व्यथा को जानकर क्रांतिकारियों के मन में उत्साह जगाने आई है।
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