Hindi, asked by aliarshad4329, 4 months ago

"कैदी और कोकिला” पाठ में मेरा दस फूट का संसार' किसे और क्यों कहा गया है?
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Answered by fm570727
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कैदी और कोकिला (माखनलाल चतुर्वेदी)

कैदी और कोकिला (माखनलाल चतुर्वेदी)Answer

‘मेरा दस फुट का संसार’ से कवि कहना चाहता है कि उसे जिस कोठरी में बंद किया गया है वह बहुत छोटी है और उसकी दुनिया इसी में सिमट कर रह गई है।

कोयल और कैदी दोनों ही गुलाम देश के वासी हैं। अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के कारण वे दोनों ही दुखी हैं।जहाँ कोयल की हूक में वेदना भरी हुई है वहीं कवि का दर्द उसकी रचनाओं में छिपा है। कोयल आज़ादी का संदेश दे रही है तो कवि अपनी कृतियों से लोगों जोश भर रहा है।

‘देख विषमता तेरी-मेरी’ के माध्यम से कवि और कोयल के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है। कोयल हरे-भरे पेड़ों की डालियों पर उड़ती फिर रही है और कवि दस फुट की कोठरी में कैदी जीवन बिता रहा है। गीत गाने पर कोयल को प्रशंसा मिलती है पर कवि का तो रोना भी गुनाह माना जाता है | वह खुले का आसमान में उड़ रही है पर कवि का जीवन तो उसकी काल कोठरी में ही सिमट गया है |

कवि ने कोयल को ‘मरने के लिए मदमाती’ कहा है। इसका आशय है कि पराधीन भारत में अंग्रेज़ों ने अपने बर्बरतापूर्ण और अमानवीय व्यवहार से तो अत्याचार की सारी सीमाएँ पार कर दी थीं। स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाने वालों को वे हर तरीके से कुचल देते थे। उनका विरोध करना स्वयं को मारने से कम नहीं था। ऐसे में कोयल द्वारा स्वतंत्रता के गीत गाकर भारतीयों में देश-प्रेम जगाना मरने के ही समान है।

‘कवि का रोना भी गुनाह है’ से पता चलता है कि तत्कालीन परतंत्र भारत में स्वाधीनता सेनानियों और क्रांतिकारियों पर बहुत अत्याचार किए जाते थे। उन्हें आपस में मिलने भी नहीं दिया जाता था। उन्हें चोरों-लुटेरों के साथ एक की काल कोठरी में बंदी बनाकर रखा जाता था। बात-बात पर उन्हें गालियाँ दी जाती थीं। उनकी साँसों पर भी अंग्रेजों का पहरा था। उन्हें पेट भर खाने को भी नहीं मिलता था। वे अपनी बात किसी से नहीं कह सकते थे।

भाव-सौंदर्य- यहाँ कवि ने अपने और कोयल के जीवन के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कोयल के कर्णप्रिय गीतों को सुनकर लोग वाह-वाह करते हैं जबकि स्वतंत्रता सेनानियों को तो रोने भी नहीं दिया जाता है। उनके बोलने पर उन्हें गालियाँ दी जाती हैं। वे चुपचाप यंत्रणाएँ सहने को विवश हैं। इतना अंतर होने के बाद भी कोयल रणभेरी बजा रही है।शिल्प-सौंदर्य-

पंक्तियों में तत्सम शब्दयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग है।

मुहावरा-‘रणभेरी बजाना’ के प्रयोग से भाषा में सजीवता और सुंदरता आ गई है।

‘तेरी-मेरी’, ‘वाह-गुनाह’ में मैत्री तथा अनुप्रास अलंकार है।

‘गुनाह’-उर्दू-फारसी के शब्द का प्रयोग किया गया है।

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