(क) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long questions)
1. उद्योग-धन्धे और शहरीकरण प्रदूषण के कारण कैसे बने?
2. ओजोन की परत पर औद्योगीकरण का क्या प्रभाव पड़ा?
3. “प्रदूषण के चारों प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं।" इस कथन की पुष्टि सोदाहरण कीजिए।
4. “समस्या का हल वापस लौटने में नहीं, वरन् उसका युक्तिसंगत हल खोजने में है।" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
5. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है।
(ख) हमारे धार्मिक कृत्य प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति हमारी आस्था प्रकट करते हैं।
Answers
Answer:
औद्योगाकरण अंग्रेजी शब्द ‘Industrialization’ का हिन्दी रूपान्तर है, जिसका अर्थ हे-अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु उद्योगों की स्थापना एवं उनका विकास । औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें उद्योग-धन्धों की बहुलता होती है ।
औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण को बढावा मिलता है एवं मानव समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है । कह सकते है कि यह आधुनिकीकरण का एक अंग है । इसके कारण वस्तुओं के उत्पादन में तेजी से बुद्धि होती है, किन्तु इसके लिए अत्यधिक ऊर्जा की खपत करनी पड़ती है ।
ओजोन भी हमारी सभ्यता के विकास में अहम कारक है, लेकिन औद्योगीकरण के नाम पर मनुष्य ने जिस तरह से पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया है उसका नकारात्मक प्रभाव ओजोन पर भी पड़ा है. ओजोन परत तकरीबन 97 से 99 प्रतिशत तक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है.
प्रदूषण (Pollution) – मनुष्य के वातावरण में हानिकारक, जीवन नाशक, विषैले पदार्थों के एकत्रित होने को प्रदूषण कहते हैं। जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि । प्रदूषक - वे पदार्थ जो प्रदूषण फैलाते हैं प्रदूषक कहलाते हैं।
मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिए जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओंरूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती हैं, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमत्ता को ललकारती हैं और दूसरे शब्दों में वे हम में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी करती हैं। मनुष्य की तमाम प्रगति, उसकी सारी उपलब्धियों के मूल में समस्याएं ही हैं। यदि जीवन में समस्याएं नहीं हों तो शायद हमारा जीवन नीरस ही नहीं, जड़ भी हो जाए। किसी ने सटीक कहा है कि-
हर मुश्किल के पत्थर को बनाकर सीढ़ियां अपनी,
जो मंजिल पर पहुंच जाए उसे 'इंसान' कहते हैं।
वास्तविक अर्थों में पर्यावरण एक रक्षा कवच है। इसमें किंचित भी संदेह नहीं है कि सभी धर्मों का अवलंबन पर्यावरण है। सभी धर्मों का सार पर्यावरण ही है और इसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी हम लोगों की है।
पर्यावरण संरक्षण में धर्म की भूमिका:
धर्म और पर्यावरण में एक गहरा संबंध है तथा सभी धर्मों का दृष्टिकोण प्रकृति के प्रति सकारात्मक रहा है। उदाहरण के तौर पर बौद्ध धर्म का मत है कि सभी जीव-जंतुओं, वनस्पतियों व मनुष्यों का जीवन एक दूसरे से संबंधित हैं इसलिये व्यक्ति को सभी जीवों का सम्मान करना चाहिये।
प्रख्यात लेखक फ्रेंकलिन ने सही ही कहा था- 'जो बात हमें पीड़ा पहुंचाती है, वही हमें सिखाती भी है।' और इसलिए समझदार लोग समस्याओं से डरते नहीं, उनसे दूर नहीं भागते।