केंद्र राज्य पर निबंध likhe
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केंद्र-राज्य संबंध से अभिप्राय किसी लोकतांत्रिक राष्ट्रीय-राज्य में संघवादी केंद्र और उसकी इकाइयों के बीच के आपसी संबंध से होता है। विश्व भर में लोकतंत्र के उदय के साथ राजनीति में केंद्र-राज्य संबंधों को एक नई परिभाषा मिली है।
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केंद्र-राज्य संबंध से अभिप्राय किसी लोकतांत्रिक राष्ट्रीय-राज्य में संघवादी केंद्र और उसकी इकाइयों के बीच के आपसी संबंध से होता है। विश्व भर में लोकतंत्र के उदय के साथ राजनीति में केंद्र-राज्य संबंधों को एक नई परिभाषा मिली है।
परिसंघ (Federation) आधारित क्लासीकीय संघवाद के विपरीत भारतीय संविधान सहयोगी संघवाद को स्वीकार करता है जिसमें संघ शक्तिशाली होता है पर राज्य कमजोर नहीं होते हैं एवं दोनों सरकारें एक-दूसरे की पूरक होती हैं. इस दृष्टि से भारतीय संघवाद, अमेरिकी संघवाद के बजाय कनाडीय संघवाद के ज्यादा निकट है. अतः भारतीय संघवाद को ए.एच. बिर्च तथा ग्रेनविल ऑस्टिन जैसे विचारक सहयोगी संघवाद की उपाधि देते हैं.
भारतीय संघीय मॉडल के अंतर्गत केंद्र राज्य संबंधों के स्वरूप का निर्धारण शक्तियों के विभाजन एवं राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित है. शक्तियों के विभाजन की दृष्टि से केंद्र-राज्य संबंधों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है –
केंद्र तथा राज्यों के विधायी सम्बन्ध
केंद्र तथा राज्यों के प्रसाशनिक सम्बन्ध
केंद्र तथा राज्यों के वित्तीय सम्बन्ध
केंद्र राज्य विधायी सम्बन्ध
केंद्र राज्य विधायी सम्बन्ध की सातवीं अनुसूची में वर्णित संघ सूची (union list), राज्य सूची (state list) तथा समवर्ती सूची (concurrent list) पर आधारित है.
संघ सूची (Union List) : इस सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के विषय शामिल हैं. सूची में कुल 97 विषय हैं. मुख्य है रक्षा, वैदेशिक मामले, युद्ध-संधि, नागरिकता, रेल, बंदरगाह, वायु मार्ग, डाक, तार, संचार, मुद्रा, बैंक, बीमा इत्यादि. इन विषयों पर विधायन अनन्य रूप से केंद्र संघ का अधिकार