केंद्रीय हिंदी निदेशालय के अनुसार हिदी में मानक वर्ण वे वर्तनी संभंडी जानकारी प्राप्त करें
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हिन्दी की वर्तनी के विविध पहलुओं को लेकर १९वीं शताब्दी के अन्तिम चरण से ही विविध प्रयास होते रहे हैं। इसी तारतम्य में केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा वर्ष 2003 में देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी के मानकीकरण के लिए अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में मानक हिंदी वर्तनी के लिए निम्नलिखित नियम निर्धारित किए गए थे जिन्हें सन २०१२ में आईएस/IS 16500 : 2012 के रूप में लागू किया गया है।
Explanation:
भाषा का बोल चाल के स्तर से ऊपर उठकर मानक रूप ग्रहण कर लेना उसका मानकीकरण है। (1) पहले स्तर पर भाषा का मूल रूप सीमित क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली बोली का होता है। इसका कोई नियमित व्याकरण अथवा भाषा शास्त्र नहीं होता। ... हिन्दी प्रकाशन संघ, भारतीय हिन्दी परिषद आदि संस्थाओं के प्रयासों से हिन्दी का पर्याप्त मानकीकरण हुआ है।
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