केदुस्कर गुरुजी व डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांची गति का जंगली
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डॉ. आंबेडकर : एक अप्रतिम विधिवेत्ता
जब आंबेडकर विधि महाविधालय के प्राचार्य थे तब खुशमिजाजी में कहा करते थे, “हम भी न्यायाधीश बनेंगे”। आंबेडकर के पास अवसर और काबिलियत दोनों थे लेकिन वे एक पद तक सीमित रहकर पहले की तरह सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तनों को अंजाम नहीं दे पाते। इसलिए वे स्वयं तो न्यायाधीश के पद पर आसीन नहीं हुए, परंतु ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापन में सफल रहे जिसमें समानता एवं न्याय के अवसर समाहित हैं
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आंबेडकर ने ज्योतिबा फुले को अपना गुरु क्यों माना?
डॉ. आंबेडकर के तीसरे गुरु और शूद्रों-अतिशूद्रों, महिलाओं और किसानों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले ज्योतिबा फुले ने देखा था सामाजिक लोकतंत्र का सपना.
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