कंठ साधना क्या है? विस्तारपूर्वक लिखिए?
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आवाज को एक उपयुक्त आकार देकर उसे निश्चित विधा के अनुकूल बनाने वाली प्रक्रिया को कंठ-साधना या कंठ -संस्कार कहा जाता है । ... २ अन्य मधुर और प्रभावशाली स्वर तथा ध्वनियों को सुनकर अपने स्वर से उसकी तुलना करके अनुकरण करना चाहिए l
आवाज को एक उपयुक्त आकार देकर उसे निश्चित विधा के अनुकूल बनाने वाली प्रक्रिया को कंठ-साधना या कंठ -संस्कार कहा जाता है । .
संगीत उपयोगी नाद साधना के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
१ स्वर पर स्वभाव का बहुत प्रभाव पड़ता है । क्रोधी और चिडचिडे व्यक्तियों का स्वर प्रायः कर्कश और अप्रिय होता है,
जबकि सहृदय व्यक्तियों का स्वर मधुर पाया जाता है । अतः व्यक्तित्व को संतुलित बनाना चाहिए ताकि कंठ के स्नायुओं पर अधिकार रहे और स्वर के संतुलन में सहायता मिले ।
२ अन्य मधुर और प्रभावशाली स्वर तथा ध्वनियों को सुनकर अपने स्वर से उसकी तुलना करके अनुकरण करना चाहिए ।
३ व्यक्ति का हृदय -प्रदेश , नासिका -प्रदेश , गला और होठ , स्वर की गूँज को निर्धारित करते है , अतः गाते समय अथवा बोलते समय गूँज उत्पन्न करने वाले हिस्से का संतुलित प्रयोग करना चाहिए , जिससे आवाज मधुर और गोल बन सके ।