कीदृशा: वृक्षा: नमिन्त ?
हरिता: वृक्षा: नमिन्त |
फ़लिनो: वृक्षा: नमिन्त |
पुष्पलतायुक्ता: वृक्षा: नमिन्त |
लघव: वृक्षा: नमिन्त |
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अर्थ :
फल से भरा हुआ वृक्ष हमेशा धरती को नमन करता है अर्थात झुकता है,
ठीक उसी तरह गुणी मनुष्य भी सभी के साथ नम्रता से व्यवहार करता है |
किन्तु मुर्ख मनुष्य सुखी लकड़ी की तरह होता है ( जैसे सुखी लकड़ी झुक नहीं सकती वप अक्कड़ रहती है )
जो किसी के आगे नहीं झुकती मुर्ख मनुष्य भी वैसे होते है |
ऐसे मुर्ख मनुष्यो से दूर रहना चाहिये |
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