(क) देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है।
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अतः ब्राह्मी लिपि मध्य आर्यावर्त की लिपि है जिससे क्रमशः उस लिपि का विकास हुआ जो पीछे नागरी कहलाई। मगध के राजा आदित्यसेन के समय (ईसा की सातवीं शताब्दी) के कुटिल मागधी अक्षरों में नागरी का वर्तमान रूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है। ... इसी से इन अक्षरों का नाम 'देवनागरी' पड़ा'।
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जैनों के 'प्रज्ञापनासूत्र' में लिखा है
कि 'अर्धमागधी' भाषा जिस लिपि में प्रकाशित की जाती है
वह ब्राह्मी लिपि है'।
अर्धमागधी भाषा मथुरा और पाटलिपुत्र के बीच के प्रदेश की भाषा है
जिससे हिंदी निकली है।
अतः ब्राह्मी लिपि मध्य आर्यावर्त की लिपि है
जिससे क्रमशः उस लिपि का विकास हुआ जो पीछे देवनागरी' कहलाई।
कि 'अर्धमागधी' भाषा जिस लिपि में प्रकाशित की जाती है
वह ब्राह्मी लिपि है'।
अर्धमागधी भाषा मथुरा और पाटलिपुत्र के बीच के प्रदेश की भाषा है
जिससे हिंदी निकली है।
अतः ब्राह्मी लिपि मध्य आर्यावर्त की लिपि है
जिससे क्रमशः उस लिपि का विकास हुआ जो पीछे देवनागरी' कहलाई।
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