(क) दस-दस, बीस-बीस रुपये कमाने वाले कलकों को देखा के
सड़ी हुई कोठरियों में पशुओं की भौति जीशन काट नि
सबेरे का जलपान तक मयस्सर नहीं होता, उन पर भी बहनों को
सनक सवार रहती है। इस प्रथा से हमारा सर्वनाश होता जब
है। मैं तो कहता हूँ यह गुलामी पराधीनता से कही बदकर है।
इसके कारण हमारा कितना आत्मिक, नैतिक, डिक, आर्थिक और
धार्मिक पालन हो रहा है, इसका अनुमान होकर
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you are right................
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