(क) ध्वनि से आप क्या समझते हैं ? एक सामान्य-ध्वनि, ध्वनि-प्रदूषण में कब परिवर्तित
हो जाती है ? (50-80 शब्द)
Answers
Answer:
किसी वस्तु से उत्पन्न होने वाली सामान्य आवाज़ को ध्वनि (Sound) कहा जाता है। जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो तथा सुनने वाले के लिये रुचिकर न हो तो उसे शोर (Noise) कहा जाता है। उच्च तीव्रता वाली ध्वनि अर्थात् अवांछित शोर के कारण मानव वर्ग में उत्पन्न अशांति एवं बेचैनी की दशा को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं, जैसे-उद्योगों का शोर, पत्थरों को काटना, तेज चिल्लाना, वाहनों का शोर आदि। ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिये डेसीबल (dB) इकाई निर्धारित की गई है। डेसीबल मापक शून्य से प्रारम्भ होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ध्वनि की उच्चता का स्तर दिन में 45dB तथा रात्रि में 35dB निश्चित किया है।
Explanation:
ध्वनि प्रदूषण की समस्या निरन्तर बढ़ने वाली समस्या है। सभी मानव गतिविधियाँ भिन्न भिन्न स्तरों पर ध्वनि-प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं। ध्वनि प्रदूषण के अनेक स्रोत हैं जो घर के अन्दर और बाहर दोनों ही जगह हैं।
भीतरी स्रोत (इनडोर स्रोत)
इसमें रेडियो, टेलीविजन, जनरेटर, बिजली के पंखे, एयर कूलर, एयरकंडीशनर, विभिन्न घरेलू उपकरण और पारिवारिक विवाद से उत्पन्न शोर निहित हैं। शहरों में ध्वनि प्रदूषण अधिक है क्योंकि शहरों में आबादी घनी है, उद्योग अधिक है और यातायात जैसी गतिविधियाँ अधिक हैं। अन्य प्रदूषकों की भाँति शोर भी औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और आधुनिक सभ्यता का एक उप-उत्पाद (By-product) है।
बाह्य स्रोत
लाउडस्पीकरों का विवेकहीन प्रयोग, औद्योगिक गतिविधियाँ, मोटरगाड़ियाँ, रेल-यातायात, हवाई जहाज और बाजार, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गतिविधियाँ, खेलकूद और राजनैतिक रैलियाँ ध्वनि प्रदूषण के बाह्य स्रोत हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती में काम आने वाली मशीनें, पम्प सेट ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत होते हैं। त्योहारों, शादियों और अन्य अनेक अवसरों पर आतिशबाजी का प्रयोग भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है।
जन्तु व पर्यावरण पर प्रभाव
तीव्र ध्वनि से सूक्ष्म जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं जिससे मृत अवशेषों के अपघटन में बाधा पहुँचती है।
तीव्र ध्वनि से जन्तुओं के हृदय, मस्तिष्क एवं यकृत को भी हानि पहुँचती है। इससे उनका तंत्रिका तंत्र खराब हो जाता है और वे खतरनाक बन जाते हैं।