Social Sciences, asked by damini2001sahu50, 7 months ago

की उद्देशिका का हमारे जीवन में क्या महत्व है संविधान सभा का गठन किस सीमा तक तक लोकतांत्रिक था shbda sima 100-150​

Answers

Answered by Payal930283
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Answer:

sanvidhan ki prastavana mein nagrikon ke liye rajnitik arthik samajik nyaay ke sath swatantrata ke sabhi roop shamil hai prastavana nagrikon ko aap se bhai chalava bandhutva ke madhyam se vyakti ke Saman tatha desh ke ekta aur akhandata sunishchit karne ka Sandesh deti.sanvidhan ki prastavana ka uddeshy hota hai ki samajik arthik rajnitik nyaay uplabdh karana vichar mat vishwas dharm tatha upasna ki swatantrata pradan karna pad aur sar ki samanta dena vyakti ki garima rashtra ki ekta aur akhandata ko sunishchit karne wali band hota hai sthapit karna.

Answered by shishir303
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O संविधान की उद्देशिका का हमारे जीवन में क्या महत्व है संविधान सभा का गठन किस सीमा तक तक लोकतांत्रिक था?

►भारत के संविधान की उद्देशिका का हमारे जीवन में महत्व इसलिए है, क्योंकि इस उद्देशिका के माध्यम से हमें अपने संविधान का सार पता चलता है। हमारे संविधान का जो दर्शन है, संविधान के अंदर जो तथ्य निहित हैं, उन सभी का संविधान की उद्देशिका से हमें ज्ञान होता है। यह उद्देश्य का हमें संविधान निर्माताओं के विचारों को समझने और संविधान निर्माण के उनके उद्देश्य को जानने के लिए मार्गदर्शक का काम करती है।

भारत के संविधान के निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन लोकतांत्रिक तरीके से करने का प्रयत्न किया गया था। जब भारत को आजाद करने की प्रक्रिया चालू हो गई थी तो भारत वासियों ने स्वयं अपना संविधान बनाने का अधिकार दिया जाए यह मांग अंग्रेजों के सामने रख दी थी, लेकिन उस समय ब्रिटिश सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद मार्च 1946 में ब्रिटिश सरकार ने भारत के लिए संविधान बनाने हेतु एक संविधान सभा के गठन के लिए एक पैनल ब्रिटेन से भेजा। इस पैनल ने अपनी योजना प्रस्तुत की और इस योजना में तत्कालीन प्रांतीय विधान मंडलों और देशी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुसार निर्धारित संख्या में संविधान के लिए प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया गया। संविधान सभा में कांग्रेस को प्रतिनिधि के रूप में बहुमत मिला था। और कुल 296 सदस्यों में से 208 सदस्य कांग्रेस के ही थे। इस तरह और बाकी सदस्य मुस्लिम लीग तथा अन्य कई दलों से निर्वाचित होकर आए थे। इस तरह समाज के हर वर्ग को यथा संभव प्रतिनिधित्व देने का प्रयत्न किया गया था। संविधान सभा के प्रतिनिधियों का चुनाव इस तरह किया गया था कि इस सभा में अलग-अलग राजनीतिक दलों के सदस्य और समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।

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