कोविड-19' विषय पर एक रिपोर्ट या केस स्टडी तैयार करें जिसमें क्या, कैसे,कब,कहाँ,प्रभाव, समाधान, दूरगामी विविध परिणामों की चर्चा हो साथ ही उन परिणामों को भारत जैसे विकासशील देश में कैसे कम किया जा सकता है इस बारे में अपने सुझाव भी लिखें। केस स्टडी को तैयार करने में अपने अभिभावकों से भी सहयोग लें और उनके विचारों को भी अपने लेखन में पर्याप्त स्थान दें।
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छत्तीसगढ़ / 68 साल के बुजुर्ग ने 6 दिन में कोरोना को हराया, डाॅक्टरों के लिए यह केस स्टडी
(प्रतीकात्मक तस्वीर) एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम नागरकर का भी कहना है कि बुजुर्ग का जल्दी ठीक होना वास्तव में कुछ समय बाद रिसर्च का विषय हो सकता है।
(प्रतीकात्मक तस्वीर) एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम नागरकर का भी कहना है कि बुजुर्ग का जल्दी ठीक होना वास्तव में कुछ समय बाद रिसर्च का विषय हो सकता है।
रामनगर के 68 वर्षीय बुजुर्ग में 25 मार्च को कोरोना पाजिटिव निकला फिर एम्समें भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया।28 मार्च को बुजुर्ग के सैंपल लिए गए तो कोरोना नेगेटिव आया
30 मार्च तो दूसरा सैंपल जांचा गया तो यह फिर नेगेटिव निकला,इस वजह से डाॅक्टरों ने उन्हें 31 मार्च की रात एम्स से छुट्टी दे दी और 14 दिन के क्वारैंटाइन में भेज दिया
दैनिक भास्कर
Apr 03, 2020, 06:19 AM IST
रायपुर. रामनगर के 68 वर्षीय बुजुर्ग के स्वाब का सैंपल 24 मार्च को लिया गया। 25 मार्च को कोरोना पाजिटिव निकला तो उन्हें रातों-रात अखिल भारतीय अायुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया। तीन दिन बाद यानी 28 मार्च को बुजुर्ग के सैंपल लिए गए तो कोरोना नेगेटिव आया। डाॅक्टर हैरान हुए पर इलाज चलता रहा। 30 मार्च तो दूसरा सैंपल जांचा गया तो यह फिर नेगेटिव निकला। इस वजह से डाॅक्टरों ने उन्हें 31 मार्च की रात एम्स से छुट्टी दे दी और 14 दिन के क्वारेंटाइन में भेज दिया।
लेकिन उसके बाद से अब तक बुजुर्ग प्रदेश में सबसे बड़ी साइंटिफिक केस स्टडी बन गए हैं। इसलिए भी क्योंकि एम्स में ही भर्ती 23 साल की युवती में 15 दिन बाद भी कोरोना नेगेटिव नहीं हो पाया है। एम्स के डाॅक्टर इस बात की स्टडी भी जल्दी शुरू करेंगे कि अाखिर बुजुर्ग में कोरोना इतनी जल्दी ठीक होने के क्या कारण हो सकते हैं। उनके खान-पान और दिनचर्या के बारे में भी जानकारी ली जा रही है। साथ ही, डाॅक्टर अलग-अलग तरह से साइंटिफिक तर्क भी दे रहे हैं। कुछ डाॅक्टरों का कहना है कि कोई भी वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में ज्यादा असर डालता है और किसी में कम, क्योंकि यह शरीर की संरचना और क्षमता पर अाधारित है। जिनके प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा रहती है, उन पर वायरस बिलकुल असर नहीं करते। एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम नागरकर का भी कहना है कि बुजुर्ग का जल्दी ठीक होना वास्तव में कुछ समय बाद रिसर्च का विषय हो सकता है।
एम्स डायरेक्टर डा. नागरकर समेत डाॅक्टरों के तर्क
नियमित टेबलेट भी दी गई : डाॅक्टरों का कहना है कि अकेले रहने के बावजूद उन्होंने हिम्मत दिखाई और खान-पान से लेकर दवाइयों को नियमित रखा। इससे चिकित्सा अमले का फोकस भी उन पर अच्छा था। फिर भी, सभी डाॅक्टर इस बात से इत्तेफाक रख रहे हैं कि बुजुर्ग संक्रमण के बाद ही अस्पताल पहुंच गए। इस वजह से दवाइयां ज्यादा कारगर रहीं।
बुजुर्ग को संक्रमित करने वाले कोरोना वायरस कुछ कमजोर किस्म के हो सकते हैं...
बुजुर्ग के शरीर में वायरल लोड कम होगा, यानी इनकी संख्या कम हो सकती है...
युवाओं में प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, पर शायद इस बुजुर्ग में अधिक होगी...
समय पर दवाइयां लेने और इलाज के दौरान मन मजबूत रखने से भी ऐसा संभव...
रिसर्च का विषय