कौवा और कोयल कैसे व्यक्ति के प्रतीक मान माने जाते हैं कबीर ने अपने दोहे में इन दोनों पक्षियों का उदाहरण देते हुए मनुष्य को क्या सीख दी है
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कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि कहते है कि जिस प्रकार कौवा और कोयल रूप-रंग में समान होते हैं किन्तु दोनों की वाणी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है। कोयल की वाणी मधुर होने के कारण वह सबको प्रिय है। वहीं दूसरी ओर कौवा अपनी कर्कश वाणी के कारण सभी को अप्रिय है। अत: कवि कहते हैं कि बिना गुणों के समाज में व्यक्ति का कोई नहीं। इसलिए हमें अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
Explanation:
कौवा और कोयल के उदाहरण द्बारा कवि कहते हैं कि कौवा और कोयल का रंग रूप देखने में एक समान है ,लेकिन दोनों के आवाज़ में जमीन आसमान का अंतर है, मीठी बोली के कारण कोयल सबको प्रिय है वहीं कौवै की कर्कश के कारण सब उसे भगाते हैं। अतः कवि कहते हैं कि बिना गुणों के व्यक्ति का संसार में कोई नहीं है , इसलिए मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए और उसे अपने गुणों को बनाए रख कर सबसे मीठे बोल बोलने चाहिए।