कावूर कौन था | इटली के एकीकरण में उसका क्या योगदान था |
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काउंट कबूर (Count of Cavour) के प्रयत्नों के फलस्वरूप संयुक्त इटली के लिए आधार तैयार हो चुका था.
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काउंट डी कावूर पीडमान्ट का प्रधानमंत्री था जिसका जन्म जमीनदार परिवार में हुआ था ,जिसने अपना प्रारंभिक जीवन एक सैनिक से प्रारम्भ किया , परंतु बाद में उस पद से स्तीफा दे दिया और राजनीति की तरफ़ क़दम बढ़ाया 1848 में वह देश की संसद का सदस्य बना, और बाद में 1852 में अपनी योग्यता के द्वारा पीडमांट देश का प्रधानमंत्री बन गया, कावूर एक देशभक्त था , वह व्यवहारिक और दृढ निश्चयी व्यक्ति था वह सदैव इटली के एकीकरण की युक्ति बनाता था, इसके लिए सर्वप्रथम उसने अपने देश को ही मज़बूत करने का संकल्प लिया।
Kaunt kavoor
कावूर ने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री बनते ही पीडमांट में हर क्षेत्र में सुधार करना प्रारम्भ किया उसने प्रशासनिक सुधार किये ,उसने पिडमोंट की शिक्षा में सुधार किये , कृषि में सुधार किये , व्यापार वाणिज्य में सुधार किये बैंकिंग सम्बंधी सुधार में नए नियम बनाये जिससे व्यापारिक अवरोध खत्म हों , यातायात के साधनों का विकास किया ,को राजकीय संरक्षण दिया , उसने सेना में कई सुधार किये , इस प्रकार काउंट केमिलो डी कावूर ने देश में सुधार करके उसे सुदृढ़ और प्रगतिशील देश बनाया, उसने देश के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का रास्ता अख्तियार किया ,जिससे देश के हर वर्ग का साथ मिला ,मेजनी ,गैरीबाल्डी जैसे क्रन्तिकारी भी कावूर के समर्थक बन गए।
कावूर जानता था देश में ऑस्ट्रिया का जब तक हस्तक्षेप रहेगा तब तक इटली एक नही हो सकता ,इसके लिए वह एक दूसरी शक्ति फ़्रान्स की सहायता लेने को तत्पर रहता था और उस अवसर की तलाश में था जब फ़्रान्स की सहायता से ऑस्ट्रिया पर हमला किया जाये, ये अवसर उसको तब मिला जब 1856 में क्रीमिया के कारण रूस से फ्रान्स और इंग्लैंड का युद्ध हुआ , कावूर ने इस अवसर पर फ्रान्स का साथ दिया जिससे फ़्रान्स का राजा नेपोलियन ख़ुश हो जाये और एक छोटा देश होने के बावज़ूद अपनी सेना को क्रीमिया के युद्ध में भेजा , क्रीमिया की युद्ध के विजय उपरांत जब 1858 में पेरिस में संधि के लिए सम्मेलन आयोजित हुआ उस अवसर पर कावूर भी वहाँ पहुँचा ,उसने इटली की दुर्दशा का बखूबी वर्णन किया और बताया कि इटली में ऑस्ट्रिया किस प्रकार मानवीय मूल्यों का हनन कर रहा है , इटली की बदहाली का जिम्मेदार ऑस्ट्रिया ही है और इटली की स्वतंत्रता अति आवश्यक है ,फ़्रांस का शासक नेपोलियन कावूर के इस तार्किक भाषण से अत्यंत खुश हुआ ,और पिडमोंट को ऑस्ट्रिया के युद्ध के। समय सैन्य सहायता देने का वचन दिया बदले में इटली के क्षेत्र में आने वाले भूभाग नीस और सेवाय को फ़्रांसिसी क्षेत्र में मिलाने और फ़्रान्स का अधिकार माँगा। इसके लिए पीडमांट और ऑस्ट्रिया के बीच पलोम्बियर्स की सन्धि हुई।
फ्रांस से ऑस्ट्रिया के ऊपर आक्रमण के समय सैन्य सहायता के वचन के बाद कावूर ने ऑस्ट्रिया के कब्जे वाले इटली के क्षेत्र वेनेसिया और लोम्बार्डी में क्रांतिकारियों की सहायता से विद्रोह करवा दिया ,लगातार आंदोलन के बाद ऑस्ट्रिया ने युद्ध की घोषणा कर दी , इस युद्ध में फ्रांस और पीडमांट की संयुक्त सेना का मुकाबला ऑस्ट्रिया की सेना से हुआ परंतु बीच युद्ध में फ्रान्स ने अपने पैर पीछे खींच लिए क्योंकि ऑस्ट्रिया ने फ्रान्स को प्रशा के साथ युद्ध में सहायता का वचन दे दिया जिसके कारण लोम्बार्डी क्षेत्र पीडमांट के अधिकार में तो आ गया परंतु वेनेशिया अभी भी ऑस्ट्रिया के अधिकार में बना रहा , इस युद्ध के बाद ज़्यूरिख़ की सन्धि हुई जिसके तहत लोम्बार्डी पीडमांट को मिला वेनेशिया ऑस्ट्रिया को मिला और नीस और सेवाय फ़्रांस को को मिला, परंतु कावूर वेनेशिया का क्षेत्र नही मिल पाने से परेशान हुआ।