का विशषता
1.
) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।
3. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
4. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
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