(क) वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या है?
(ख) निम्न काव्य पंक्तियों में निहित रस बताइए
“मन फूला-फूला फिरै जगत में कैसा नाता रे।
चार बाँस चरगजी मँगाया चढ़े काठ की घोरी।।"
(ग) श्रृंगार रस के भेदों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(घ) विभाव के दो प्रमुख भेद कौन से हैं?
Answers
Answer
Vatsalya ras ka vatsal sthai bav hota h
Vibaav ke aalamban and udipan do pramukh bhed h.
I think ye sant ras h
Explanation:
प्रशन :- (क )वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या है ?
उत्तर :- वात्सल्य रस (अनुराग) होता है | “जब संतान, शिष्य, अनुज के प्रति प्रेम उमड़ता है तो वहां वात्सल्य रस होता है
प्रशन :- (ख) निम्न काव्य पंक्तियों में निहित रस बताइए
“मन फूला-फूला फिरै जगत में कैसा नाता रे।
चार बाँस चरगजी मँगाया चढ़े काठ की घोरी।।"
उत्तर :- भक्ति रस है |
प्रशन (ग) श्रृंगार रस के भेदों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- श्रृंगार रस के दो भेद है :-
1. संयोग श्रृंगार
2. वियोग श्रृंगार
संयोग श्रृंगार:- जिस रस में नायक और नायिका के परस्पर मिलन, वार्तालाप, स्पर्श, आलिगंन आदि का वर्णन होता है, उस रस को संयोग शृंगार रस कहते है।
वियोग श्रृंगार :- जिस रस में नायक व नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात् नायक और नायिका के वियोग का वर्णन हो रहा हो उस जगह पर वियोग रस होता है। वियोग का स्थायी भाव भी "रति" होता है।