कोविद 19 और ऑनलाइन शिक्षा के बारे में अध्यापक और छात्र के बिच संबाद
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विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच तमाम देशों में ऑनलाइन कक्षाओं और इंटरनेट से पढ़ाई पर जोर है. भारत भी इससे अछूता नहीं जहां ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत और उसके कारोबार के बीच डिजिटल साक्षरता और डिजिटल विभाजन जैसे मुद्दे सामने हैं.
भारत में स्कूल कॉलेज समेत तमाम शैक्षणिक संस्थान अपने अपने शैक्षिक सत्र पूरे कर पाते, इससे पहले ही कोरोना संकट के चलते उन्हें 24 मार्च से बंद कर दिया गया. लॉकडाउन की इस अवधि में ऑनलाइन शिक्षण से सत्र पूरा करने की कोशिश की गयी. कई शिक्षण संस्थानों में कक्षाएं जारी थीं और इम्तहान लंबित थे. मिडिल और सेकेंडरी कक्षाएं ऑनलाइन कराने के लिए जूम जैसे विवादास्पद वेब प्लेटफॉर्मो का सहारा लिया गया. कहीं गूगल तो कहीं स्काइप के जरिए कक्षाएं हुईं. कहीं यूट्यूब पर ऑनलाइन सामग्री तैयार की गई तो कहीं लेक्चर और कक्षा के वीडियो तैयार कर ऑनलाइन डाले गए और व्हाट्सऐप के माध्यम से विद्यार्थियों के समूहों में भेजे गए. लेकिन अधिकांश संस्थान ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं. जानकार लोगों का मानना है कि आईआईटी जैसे संस्थान अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं ऑनलाइन करा सकते हैं.
वास्तविक दुनिया में कोविड की दहशत, बचाव और बदइंतजामियों की हलचलों के बीच वर्चुअल संसार में एक खामोश सी गहमागहमी मची हुई थी. घर देखते ही देखते क्वारंटीन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन कामकाज और ऑनलाइन पढ़ाई के ठिकाने बन गए. ये सिलसिला करीब डेढ़ महीने से जोरशोर से चल रहा था. इधर बहुत से शैक्षणिक संस्थानों में गर्मी की छुट्टियां घोषित हो चुकी है और कई संस्थानों में चंद रोज में अपेक्षित हैं तो अब इस सिलसिले की गति थम गयी है. लेकिन इस पूरे तजुर्बे ने भविष्य की शिक्षा के तौरतरीकों में बदलाव के संकेत ही नहीं दिए हैं बल्कि रास्ते भी तैयार कर दिए हैं.