Hindi, asked by sahuvinod818, 4 months ago

काव्य
इन्द्र निज हेरत फिरत गजइन्द्र अरु,
इंद्र को अनुज हेरै दुगधनदीस कों।
भूषन भनत सुरसरिता को हंस हेरें,
बिधि हेरै हंस को चकोर रजनीस कों।
साहितनै सरजा यौं करनी करी है तैं वै,
होतु हैं अंचभो देव कोटियों तैंतीस कों।
पावत न हेरे तेरे जस में हिराने निज,
गिरि को गिरीस हेरै गिरिजा गिरीस कों।।4।।​

Answers

Answered by sumit17441
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Answer:

काव्य

इन्द्र निज हेरत फिरत गजइन्द्र अरु,

इंद्र को अनुज हेरै दुगधनदीस कों।

भूषन भनत सुरसरिता को हंस हेरें,

बिधि हेरै हंस को चकोर रजनीस कों।

साहितनै सरजा यौं करनी करी है तैं वै,

होतु हैं अंचभो देव कोटियों तैंतीस कों।

पावत न हेरे तेरे जस में हिराने निज,

गिरि को गिरीस हेरै गिरिजा गिरीस कों।।4।।

भुषण

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