Hindi, asked by doliasati1982, 1 month ago

काव्य की परिक्षाषा तथा उसके प्रकारों के नाम लिखिए​

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Answered by anjugoyal954
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काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वह जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। छन्दबद्ध रचना काव्य कहलाती हैं। आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा हैं " वाक्यं रसात्मकं काव्यम्य " मतलब रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा कहा जाता है।

Answered by shaffali80
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काव्य किसे कहते है? काव्य का क्या अर्थ हैं {kavy kiya hai}

काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वह जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। छन्दबद्ध रचना काव्य कहलाती हैं। आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा हैं " वाक्यं रसात्मकं काव्यम्य " मतलब रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा कहा जाता है।

काव्य के भेद (प्रकार) {kavy ke bhed}

काव्य के दो भेद माने गये हैं-- श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य

1. श्रव्य काव्य

जिस काव्य को पढ़कर या सुनकर आनन्द प्राप्त किया जाये, वह श्रव्य काव्य कहलाता है। श्रव्य काव्य के दो भेद माने गये हैं--- 1. प्रबंध काव्य 2. मुक्तक काव्य

(क) प्रबन्ध काव्य

प्रबंध काव्य वह काव्य रचना कहलाती है जिसकी कथा श्रंखलाबध्द होती है। इसके छन्दों का सम्बन्ध पूर्वापर होता हैं। प्रबन्ध काव्य के दो प्रकार है--

1. महाकाव्य

महाकाव्य मे किसी महापुरुष के समस्त जीवन की कथा होती हैं।

इसकी कथा इतिहास प्रसिध्द होती है। इसका नायक उदात्त चरित्र वाला धीर-वीर गंभीर होता हैं। महाकाव्य मे श्रंगार, शांत और वीर मे से कोई एक रस प्रधान रस होता है, शेष रस गौण होते है। महाकाव्य सर्गबध्द होता हैं। इसमे कम से कम आठ सर्ग होते हैं।

हिन्दी के प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचयिता के नाम

रामचरितमानस = तुलसीदास

रामचन्द्रिका = केशवदास

साकेत = मैथिलीशरण गुप्त

कामायनी = जयशंकर प्रसाद

पद्मावत = मलिक मुहम्मद जायसी

2. खण्डकाव्य

खण्डकाव्य भी प्रबन्ध-काव्य का एक भेद है। इसमे जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अनुभूति का पूर्णतः के साथ चित्रण किया जाता है। खण्डकाव्य जीवन का न तो खण्डित चित्र है, न महाकाव्य का अंश। यह सीमित आकार मे स्वतः पूर्ण रचना है। खण्डकाव्य के उदाहरण पंचवटी, जयद्रथ वध, नहुष, सुदामा चरित, मिलन, पथिक आदि।

आख्यानक गीत; आख्यान का अर्थ है कथा। ऐसी पद्दबध्द रचना जिसमें एक लघु आख्यान या कथा वर्णित होती हैं तथा जिसके छन्दों मे गेयता वर्णित होती है, उसे आख्यानक गीत कहते हैं। जैसे झांसी की रानी।

गेय मुक्तक; ऐसी मुक्तक रचना जिसमें गेयता होती है, उसे गेय मुक्तक कहते हैं। यथा- सूर, मीरा के गीत।

पाठ्य मुक्तक; ऐसी मुक्तक रचना मे विषय की प्रधानता रहती है जिसे स्वर मे पढ़ा जा सकता है गाया नही जा सकता। उसे पाठ्य मुक्तक कहते हैं। जैसे = कबीर, रहीम के दोहे।

गीत; गीत ऐसी मुक्तक रचना है, जिसमें गेयता के साथ आत्मपरखता तथा मृदुललित पदावली होती है। जैसे= सूर, मीरा महादेवी के गीत

खण्डकाव्य को ठीक से समझने के लिए हम खण्डकाव्य के लक्षण (विशेषताएं) जान लेते हैं।

खण्डकाव्य की विशेषताएं

1. खण्डकाव्य मे जीवन की कीसी एक घटना का वर्णन होता हैं।

2. इसमे घटना के माध्यम से किसी महान् आर्दश की अभिव्यक्ति होती हैं।

3. इसका प्रधान रस श्रृंगार, शांत या वीर होता हैं।

4. सम्पूर्ण रचना में एक ही छन्द का प्रयोग होता हैं।

हिन्दी के प्रमुख खण्डकाव्य एवं उनके रचयिता

सुदामा चरित्र = नरोत्तमदास

पंचवटी = मैथिलीशरण गुप्त

पथिक = रामनरेश त्रिपाठी

हल्दीघाटी = श्यामनारायण पाण्डेय

कुरुक्षेत्र = रामधारी सिंह 'दिनकर'

(ख) मुक्तक काव्य

मुक्तक काव्य मे एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है। मुक्तक काव्य कि भाषा सरल व स्पष्ट होती हैं। मुक्तक काव्य मे प्रत्येक छन्द स्वयं मे पूर्ण होता है तथा पूर्वापर सम्बन्ध से मुक्त होता है। बिहारी सतसई के दोहे, कबीर की साखी मुक्तक काव्य है। मुक्तक काव्य के भी दो भेद हैं--

पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक

1. पाठ्य मुक्तक

पाठ्य मुक्तक मे विषय की प्रधानता होती है, प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का चित्रण होता है तथा किसी विचार या रीति का भी चित्रिण होता है।

2. गेय मुक्तक

इसे गीति या प्रगीति काव्य भी कहते है। इसमें 1. भाव प्रवणता 2. सौन्दर्य बोध 3. अभिव्यक्ति की संक्षिप्तता 4. लयात्मकता की प्रधानता होती है।

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