काव्य मे रस का क्या तत्पर्य है?
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रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
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काव्य मे रस का तत्पर्य आनंद है|
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