काव्य पंक्तिपूऋणकीजि। भेद सभी ................ बंधुता की कामना।
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भेद सभी अस्त होवे, बैर और वासना |
मानवो की एकता की पूर्ण हो कल्पना |
मुक्त हम, चाहे एक ही बंधुता की कल्पना |
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