काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भेंकन दे झख मारि।
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Answer Explanation:
- इसमें कवि ने एक सशक्त चित्र उपस्थित किया है। सहज साधक मस्ती से हाथी पर चढ़े हुए जा रहे हैं।
- और संसार-भर के कुत्ते भौंक-भौंककर शांत हो रहे हैं परंतु वे हाथी का कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे। यह चित्र निंदकों पर व्यंग्य है और साधकों के लिए प्रेरणा है।
- सांगरूपक अलंकार का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है
ज्ञान रूपी हाथी
सहज साधना रूपी दुलीचा
निंदक संसार रूपी श्वान
निंदा रूपी भौंकना
- ‘झख मारि’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग।
- ‘स्वान रूप संसार है’ एक सशक्त उपमा है।
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