Hindi, asked by Karunarawat, 3 months ago

काव्य सौंदर्य स्पष्ट किजिए:-
पिता की आँखें लौह साँय की ठण्डी शलाखें हैं बेटी की आँखें मन्दिर में दीवट पर जलते घी के दो दिए हैं।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

काव्य सौंदर्य स्पष्ट किजिए:-

पिता की आँखें लौह साँय की ठण्डी शलाखें हैं बेटी की आँखें मन्दिर में दीवट पर जलते घी के दो दिए हैं।

Answered by Anonymous
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Explanation:

इन दोनों पंक्तियों में पिता और पुत्री के बारे में वर्णन किया गया है पहली पंक्ति में कहती है कि पिता किया को लौटाया जाएं कि ठंडी चलाते हैं अर्थात जो पिताजी की आंखों में प्रेम भर रहा है वह बाहर से जितने कठोर हैं उतने अंदर से ही बहुत नरम दिल और कोमल है तथा दूसरी पंक्ति में बेटी की आंखों में मंदिर के दिवस पर जलते दिए जी को दो दिए दिए इसमें कहा गया है कि बेटी को जो आंखों है वह मंदिर के जो गेट होता है वह जलने दो ही दिए जैसे हैं अर्थात वह सब को रोशनी प्रदान करें और कोमल

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