Chemistry, asked by tanuvarshney89, 8 months ago

काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें या मुरली मुरलीधर की अदनान धरी अधरा ना घर आऊंगी please answer the question​

Answers

Answered by satishkaushik179913
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Answer:

भाव सौंदर्य- इस छंद में गोपी दूसरी सखी से श्री कृष्ण की भांति वेशभूषा धारण करने को कहती है। सखी उसके इस आग्रह पर तैयार तो हो जाती है गोपी अपनी सखी के कहने पर कृष्ण के समान वेशभूषा तो धारण कर लेती है परंतु श्री कृष्ण की मुरली को अधरों पर नहीं रखती। उसके अनुसार उसे यह मुरली सौत की तरह प्रतीत होती है। अत: वह सौत रूपी मुरली को अपने होठों से नहीं लगाना चाहती है।

शिल्प सौंदर्य- काव्य में ब्रज भाषा तथा सबवे का सुंदर प्रयोग हुआ है। जिससे चांद की छटा निराली हो गई है। 'ल' और 'म' वरुण की आवृत्ति होने के कारण यहां पर अनुप्रास अलंकार है।

इनमें यमक अलंकार का सौंदर्य है "मुरली मुरलीधर में" सभंग

यमक है। 'अधरन' ,'धरी न' में भी सभंग यमक है।

अधरन = अधरों पर

अधरा न = होठों पर नहीं

अनुप्रास अलंकार का सौंदर्य भी दिखते बनता है।

Explanation:

आशा है कि आपको इससे मदद मिलेगी !

धन्यवाद !

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