Hindi, asked by anuragupendrami998, 10 months ago

काव्य-सौंदर्य स्पष्ट दीजिए-
पर कर्म-तैल बिना कभो विधि-दीप जल सकता नहीं,
है दैव क्या? साँचे बिना कुछ आप ढल सकता नहीं।

Answers

Answered by Anonymous
17

जी घर रहे........ सव्स्थ रहे...........

Answered by vikasbarman272
0

पर कर्म-तैल ……………. ढल सकता नहीं।

काव्य सौंदर्य :

1. इस दोहे में रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।

2. इसमे दोहा छंद का प्रयोग किया गया है।

3. यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का सुंदर प्रयोग किया गया है।

4. दोहे में शास्त्रीय ज्ञान का विरोध करते हुए सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है।

प्रस्तुत दोहे में कहा गया हैं कि जिन लोगों में आलस होता हैं वे कभी कर्म नहीं करते और विपत्ति आने पर केवल अपने भाग्य को दोष देते हैं। ऐसे लोग ये नहीं जानते है कि कर्म रूपी तेल के बिना कभी भी वह भाग्यरूपी दीपक को नहीं जला सकता हैं । अर्थात् जिस तरह एक दीपक को जलाने के लिए उसमे तेल का होना आवश्यक है । उसी प्रकार किसी भी कार्य में सफलता को हासिल करने के लिए हमे निरंतर कर्म और परिश्रम करना आवश्यक है।

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